- राहुल की बिहार से विरक्ति भी बिना मतलब नहीं
- राहुल ने तेजस्वी को सीएम फेस की बधाई भी नहीं दी
- ओवैसी ने कांग्रेस प्रत्याशी को तेलंगाना में समर्थन दे दिया
- ऐसे में सीमांचल के मसले पर गुप्त समझौते की चर्चा
अभयानंद शुक्ल, वीकली आई न्यूज़
नई दिल्ली। बिहार विशेषकर सीमांचल में मुस्लिम वोटरों का मिजाज कुछ अलग दिख रहा है। वे असदुद्दीन ओवैसी और राहुल गांधी को तो पसंद करते हैं, पर उन्हें तेजस्वी पसंद नहीं हैं। यहां एक चर्चा यह भी है कि ओवैसी और कांग्रेस में एक गुप्त समझ बन गई है। और लोग इसे तेलंगाना में एक विधानसभा सीट के उपचुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं। ओवैसी ने वहां जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे दिया है। सीमांचल में इसी को लेकर गुप्त समझौता होने की बात कही जा रही है। इसके अलावा कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी किसी न किसी घालमेल की ओर इशारा कर रहे हैं।
सीमांचल के मुस्लिम वोटरों में लगता है कि ओवैसी और कांग्रेस की गहरी पैठ है। वहां का वोटर या तो असदुद्दीन ओवैसी का नाम लेता है या फिर राहुल गांधी का। वह तेजस्वी यादव का नाम नहीं लेता। उसका कहना है कि राजद ने हमारे जनादेश का अपमान किया है, हमने 5 विधायक ओवैसी को जिताकर दिए थे, जिसमें से राजद ने चार हड़प लिये। ऐसे में राजद ने हमारे जनादेश और हमारी इच्छा का अपमान किया है। अब हम तेजस्वी को इसका सबक सिखाएंगे। हालांकि ओवैसी की पार्टी ने इसके बावजूद कोशिश की कि वह इंडी गठबंधन में शामिल हो जाएं ताकि मुस्लिम मतों का बंटवारा न हो, लेकिन तेजस्वी यादव की जिद के चलते ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम गठबंधन में शामिल नहीं हो पाई। इसे लेकर सीमांचल में नाराजगी है। खबर है कि ओवैसी की पार्टी ने गठबंधन के लिए दो पत्र लालू प्रसाद यादव को लिखे थे, पर तेजस्वी ने ये कहकर बात समाप्त कर दी कि मुझे कोई पत्र नहीं मिला है। ऐसे में ओवैसी को इसकी टीस अभी तक है। सूत्रों की खबर है कि इसी कारण ओवैसी ने कांग्रेस से गुप्त समझौता किया है कि सीमांचल में जिस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत होगा, वहां ओवैसी उसको अंदरूनी सपोर्ट देंगे और यही काम कांग्रेस भी करेगी। यानी जिस सीट पर ओवैसी की पार्टी मजबूत दिखेगी वहां कांग्रेस उसका समर्थन कर देगी। शायद इसीलिए राहुल गांधी पिछले लगभग एक महीने से बिहार की राजनीति से अलग दिखाई दे रहे हैं। खबर यह भी है कि इसी कारण राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली गए लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को मिलने का समय नहीं दिया। इससे नाराज होकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पटना वापस आ गए। बाद में डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी नेता अशोक गहलोत को पटना आना पड़ा और नाराजगी दूर करने के लिए अंतिम समय में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री फेस घोषित करना पड़ा। जबकि सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन गांधी परिवार के अन्य सदस्यों के दबाव और अन्य नेताओं के समझाने पर मौन स्वीकृति दे दी। सूत्र बताते हैं कि इसी कारण राहुल ने तेजस्वी को अभी तक सीएम फेस बनने पर बधाई नहीं दी है।
इधर राहुल गांधी ने बिहार के मामलों में इंटरेस्ट लेना भी कम कर दिया है। इसे भी लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इधर देखने में आया है कि लगभग एक महीने से राहुल गांधी बिहार के बारे में कोई ट्वीट नहीं कर रहे हैं। वैसे शनिवार को एक खबर आई है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी छठ पूजा के बाद बिहार के दौरे पर आएंगे। पर सवाल यह भी उठता है कि वे सिर्फ कांग्रेस के प्रत्याशियों का प्रचार करेंगे या फिर पूरे गठबंधन के लिए वोट मांगेंगे। ऐसा सवाल लोग इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा में राहुल गांधी शामिल ही नहीं हुए थे।
अब राहुल गांधी की इस बेरुखी के बारे में सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे ओवैसी और कांग्रेस की अंदरूनी मिलीभगत ही है। इसी के चलते ओवैसी ने तेलंगाना में उपचुनाव की एक सीट पर कांग्रेस को समर्थन दे दिया है। उन्होंने बाकायदा कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने की अपील भी की है। ओवैसी की इस ‘कांग्रेसी पहेली’ पर मंथन तेज है। राजनीतिक विश्लेषक भी सोचने को मजबूर हो गए हैं। चर्चा है कि ओवैसी ने बिहार में अकेले उस गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जिसके एक घटक कांग्रेस के प्रत्याशी को वे तेलंगाना में समर्थन दे रहे हैं। जुबली हिल्स विधानसभा सीट के उपचुनाव में उन्होंने यहां के करीब चार लाख वोटरों से अपील की है कि वे कांग्रेस के युवा प्रत्याशी नवीन यादव को वोट दें, जो विकास करा सकते हैं। ये सीट बीआरएस विधायक मगांती गोपीनाथ के जून में निधन के कारण खाली हुई थी। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि ओवैसी का जुबली हिल्स उपचुनाव में कांग्रेस को समर्थन देना, कुछ न कुछ कहानी तो कहता ही है। वैसे भी बिहार चुनाव में इस समय ओवैसी के निशाने पर कांग्रेस कम और राजद अधिक है। ऐसे में लोग पूछने लगे हैं कि, ये रिश्ता क्या कहलाता है…।
