- मंगलवार को रहा सनातन धर्म का मंगल दिवस, लौट आया सनातन का खोया हुआ पुराना वैभव
- अयोध्या में प्रभु श्रीराम लला के मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण के साथ रामराज्य का शुभारंभ
- 500 सालों की प्रतीक्षा का भी सुखद अंत, भाव विभोर हो गए रामनगरी में जुटे सभी साधु-संत
- अपना संकल्प पूरा होते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हुए भाव विभोर, आंखें छलक आयीं
प्रवीण द्विवेदी,वीकली आई न्यूज़
लखनऊ। मंगलवार को सनातनियों के लिए मंगल दिवस रहा। पुण्य सलिला सरयू मैया भी भाव विभोर होकर प्रसन्नता से झूम रही थीं। उनकी लहरें विशेष रूप से हिलोरें ले रही थीं, क्योंकि उनकी भी वर्षों पुरानी गरिमा वापस लौट रही थी। साथ ही उनका पुराना वैभव नवीनता की सूरत में आकार ले रहा था। और प्रसन्न तो अयोध्या नगरी की माटी, हवाएं और मठ-मंदिर भी थे, जिनको अब सनातन की ऊष्मा का आभास होने लगा था। साधु-संत और नगरवासियों की प्रसन्नता का भी कोई ठिकाना नहीं था। धर्मध्वज फहराने आए पीएम नरेंद्र मोदी तो अपने वर्षों पुराने संकल्प को साकार होते देख इतने भाव विभोर थे कि प्रणाम की मुद्रा में जुड़े उनके दोनों हाथ कांप रहे थे, और आंखें भी छलछला आई थीं। कुल मिलाकर मंदिर की पूर्णता का यह समारोह भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का संदेश लेकर आया। इस पर संतों ने नारा लगाया कि बोलो जय सियाराम, अब पूरा हो गया काम।
राम की नगरी अयोध्या में सीताराम विवाह पंचमी के दिन आयोजित श्रीराम मंदिर धर्म ध्वजा आरोहण समारोह भव्यता-दिव्यता के साथ सम्पन्न हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरसंघचालक मोहन भागवत ने संयुक्त रूप से श्री राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा की स्थापना का शुभ कार्य शुभ मुहूर्त में सम्पन्न किया। इस अवसर पर पतित पावनी सरयू मैया एक बार फिर आल्हादित हो गई थी, इस कारण कि उसका राम राज्य वापस लौट रहा था। प्रभु श्री राम के महल पर धर्म ध्वजा की स्थापना हो रही थी। सरयू मैया कुछ अलग वेग से उछल रही थी। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। इसके साथ ही अयोध्या नगर भी नवीनता के साथ अपनी पुरातन की परंपरा को जी रही थी। धर्म ध्वजा जैसे-जैसे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही थी वैसे-वैसे लोगों की आंखों से आंसू गिर रहे थे। लोगों ने कहा कि आज सचमुच रामराज की स्थापना हो रही है, धर्म की स्थापना हो रही है और भारत हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। भाव विभोर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे क्योंकि उनका वर्षों पुराना संकल्प संपूर्णता को प्राप्त हो रहा था। 1992 में जब उन्होंने अयोध्या छोड़ा था, तभी यह संकल्प लिया था कि जब अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता साफ होगा तभी वे यहां आएंगे। और आज उसी राममंदिर की संपूर्णता का दिन था। ऐसे में आंखों से आंसू गिरना तो स्वाभाविक था।
यहां पर आए संतों ने कहा कि जिस प्रकार अयोध्या में राम मंदिर पूर्णता को प्राप्त हुआ है, उसी प्रकार हम उम्मीद करते हैं कि काशी विश्वनाथ में भी भोले नाथ को भी उनका सही स्थान मिल जाएगा। संतों ने इस मौके पर कहा कि अंत में निकला ये परिणाम, राम से बड़ा राम का नाम। उन्होंने नारा भी लगाया कि पूरा हो गया काम, अब बोलो जय सियाराम। पूर्व सांसद व महंत रामविलास दास वेदांती ने कहा कि धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ ही भारत में राम राज्य की स्थापना हुई है और भारत हिंदू राष्ट्र भी बन गया, और भगवा ध्वज लहराना इस बात को प्रतीक है। सभी संतों ने भी शंख ध्वनि के साथ यह घोषणा की कि आज से भारत हिंदू राष्ट्र हो गया, रामराज्य स्थापना हो गई।
ध्वजारोहण के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि ये ध्वजारोहण 500 वर्षों से हमारे अंदर जल रही प्रतीक्षा की अग्नि की पूर्णाहुति का दिन है। आज संपूर्ण भारत वासियों के घाव भर रहे होंगे। पीएम ने कहा कि ये सत्य की जीत है और भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। और सत्य में ही धर्म स्थापित है। उन्होंने फिर घोषणा की कि 2047 तक हम विकसित भारत का निर्माण करेंगे, क्योंकि अब हमें आने वाले कल के बारे में सोचना है। और इसके लिए राम यानी जनता के सुख को सर्वोपरि रखना है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के बारे में हमें यह बताया गया था कि ये विदेशी संविधान की नकल है, जबकि भारत तो लोकतंत्र की जननी है। अब इसी गुलामी की मानसिकता का अंत हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने तो प्रभु श्रीराम को काल्पनिक घोषित करने की कोशिश की थी, किंतु ये सनातन की ताकत है जो राम को मिटने नहीं देगा। हम आने वाले 10 सालों में बाकी बची मानसिक गुलामी से भी मुक्ति पा लेंगे। मोदी ने कहा कि यह धर्म ध्वजा सत्यमेव जयते की भावना की स्थापना करेगी। पीएम ने संबोधन के उपरांत श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के चरण स्पर्श भी किया। इसके अलावा उन्होंने अन्य सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

धर्म ध्वजा की विशेषता
श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित की गई धर्मध्वजा की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट है। इस पर भगवान श्रीराम का राज चिह्न कोविदार वृक्ष, उनके वंश का प्रतीक सूर्य और ब्रह्मांड के नाद का प्रतीक ओम् अंकित है। यह उस विशेष वस्त्र से बना है जो मौसम की मार भी झेल सकता है, और काफी दिनों तक सुरक्षित भी रहेगा।
