- दावेदारी में फिलहाल ओवैसी को बढ़त के संकेत
- इंडी गठबंधन डैमेज कंट्रोल करने में जुट गया
- सपा ने भी इंडी गठबंधन के लिए उतार दी फौज
- ओवैसी के निशाने पर इस समय सिर्फ तेजस्वी
- पीडीए को लेकर कांग्रेस के दो सांसदों में मतभेद
- मुस्लिम मतों पर जन स्वराज का अलग दावा
अभयानंद शुक्ल,वीकली आई न्यूज़
पटना/लखनऊ। यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे फेज की वोटिंग 11 नवंबर को होगी। ऐसे में चुनाव प्रचार अंतिम चरण में है। 9 नवंबर रविवार की शाम को प्रचार का शोर भी खत्म हो जाएगा, परंतु सबकी निगाहें सीमांचल और मुस्लिम वोटरों पर हैं। इन वोटों की दावेदारी में एआईएमआईएम चीफ ओवैसी फिलहाल बीस दिखाई दे रहे हैं। उनका वह नैरेटिव काम करता दिखाई दे रहा है, जिसमें वे कहते हैं कि सभी पार्टियों ने मुस्लिमों को सिर्फ दरी बिछाने वाला बना रखा है। ऐसे में उनकी सीएम और डिप्टी सीएम पद की मांग का भी अच्छा असर दिखाई दे रहा है। इससे घबराए इंडी गठबंधन ने अपने मुस्लिम नेताओं को पूरी फौज उतार दी है। हालांकि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी यहां चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन उसने भी अपने मुस्लिम नेताओं को मोर्चे पर लगा रखा है। उधर प्रशांत किशोर का दावा है कि मुसलमान तो उनके साथ हैं। पर मुस्लिम मतों की लड़ाई अब असदुद्दीन ओवैसी बनाम अन्य के बीच सिमटती दिखाई दे रही है।
बिहार के सीमांचल इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की बढ़ती सक्रियता से बाकी सभी दल परेशान हैं, विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल। ओवैसी के निशाने पर इस समय सिर्फ और सिर्फ तेजस्वी यादव हैं। ओवैसी की तेज होती सक्रियता से घबराकर तेजस्वी ने उन्हें एक्सट्रीमिस्ट यानी अतिवादी तक कह दिया है। अब ओवैसी इसी बात को पकड़ कर तेजस्वी यादव पर हमलावर हैं। तेजस्वी ने उनको बाहरी भी कहा है। इस पर ओवैसी ने कहा कि ये मेरे खुदा मेरे अब्बा की जमीन है, इसलिए मेरी भी है। इसलिए सीमांचल भी मेरा है और सीमांचल के लोग मेरे हैं। ओवैसी ने कहा है कि अगर मुकाबला करना है तो किसी भी चौराहे पर आ जाओ, देखते हैं तुम्हें पूछने वाले कितने हैं और हमें पूछने वाले कितने।
ओवैसी एक ही बात कहते हैं कि मुसलमान अब आपकी दरी नहीं बिछाएगा, उसे तो अपना हक चाहिए। उनका कहना है कि अब अली के बेटे को भी सीएम और डिप्टी सीएम होना चाहिए। असदुद्दीन ओवैसी तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए हुए कहते हैं कि सीमांचल तुम्हारे बाप का नहीं है, यह मेरे अल्लाह का है, और यहां के लोग मेरे हैं। फिर तुम मुझे अतिवादी और बाहरी कैसे कह सकते हो। वैसे ओवैसी की ये बात सीमांचल के मुसलमानों पर असर भी करती दिख रही, जैसा कि वहां पर गये लोगों का आंकलन है। अब तक जो सूचनाएं मिल रही हैं, उसमें ओवैसी धीरे-धीरे सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत बना रहे हैं। जबकि तेजस्वी यादव उन्हें अतिवादी, वोट कटवा और बाहरी बताकर मुसलमानों को समझाने में लगे हैं।
इसके अलावा कांग्रेस की ओर से प्रचार के लिए गए सांसद इमरान प्रतापगढ़ी कहते हैं कि ये जो बाहरी परिंदे यहां आए हैं, कल उड़ जाएंगे। और यहां रहना आपको है, आप अपने हक को समझें और इंडी गठबंधन को जिताएं। दूसरी ओर कांग्रेस के ही सांसद इमरान मसूद का कहना है कि पीडीए की बात फर्जी है। उसमें मुसलमान कहां है, जरा मुझे कोई बताए। पीडीए की बात मुस्लिमों से धोखाधड़ी है। उनका भी आरोप है कि सारे दल मुसलमानों को सिर्फ दरी बिछाने वाला समझते हैं, और चीटिंग करते हैं। यानी एक तरह से इमरान मसूद असदुद्दीन ओवैसी की ही बात का समर्थन करते हैं। इस प्रकार वे अपनी ही पार्टी के सांसद इमरान प्रतापगढ़ी से अलग राय रखते हैं।
इसके अलावा समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन कहती हैं कि अब भी समय है, अपने हक को पहचानो और वोट काटने वालों से बच कर रहो। उनका कहना है कि ये जो लोग आए हैं, चले जाएंगे, और मुसलमानों की रहनुमाई इंडी गठबंधन करेगा। वैसे, सीमांचल के लोग बातचीत में विकास के मुद्दे पर वोट देने की बात कर रहे हैं, पर उनका पिछला इतिहास इसकी तस्दीक नहीं करता। अब देखना यह है कि इस बार क्या होगा। पर ये बात तो तय है कि बिहार में मुस्लिम वोटर हमेशा निर्णायक रहा है। उसने जो धारा को पकड़ी है, उसे ही सफलता मिली है। इसके अलावा मुस्लिम मतों के एक और दावेदार जन स्वराज के पीके भी हैं। उनका तो यह भी दावा है कि मुसलमान उनके साथ हैं, इसलिए वे सेकेंड लार्जेस्ट पार्टी बनेंगे।
तेलंगाना के सीएम के बयान पर भी मचा है सियासी संग्राम
दूसरी ओर तेलंगाना के सीएम रेवंथ रेड्डी ने पिछले दिनों एक बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मुसलमान का मतलब कांग्रेस और कांग्रेस का मतलब मुसलमान है। उनका दावा है कि कांग्रेस पार्टी ही मुसलमानों का भला कर सकती है। सियासी गलियारों में उनके बयान को लेकर हंगामा है। हालांकि सच ये भी है कि ओवैसी ने तेलंगाना में विधानसभा की एक सीट के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे दिया है। ऐसे में अब लोग पूछ रहे हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है। लोगों का कहना है कि आप तेलंगाना में कांग्रेस के साथ हैं, तो फिर सीमांचल में कांग्रेस और उसके गठबंधन का विरोध क्यों। और इस बात का कोई जवाब ओवैसी के पास नहीं है, शायद। उधर एनडीए ने रेवंथ रेड्डी के बयान को मुद्दा बनाकर हिंदुओं को पोलराइज करने की कोशिश शुरू कर दी है। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी अगर अपना काम कर गये तो एनडीए का काम अपने आप ही हो जाएगा।
