- इस तकनीक से कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है
- बहराइच जिले में भी इसका लाभ उठा रहे हैं किसान
- इस तकनीक से 50 फीसद तक होती है पानी की बचत
- कम पानी में अनार की खेती का कमाल दिखा रहे हैं मजीद
प्रवीण द्विवेदी,वीकली आई न्यूज़
लखनऊ। भारत की खेती आज एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। और ये बदलाव आया है इज़राइल की जल तकनीक से। रेगिस्तानी और पानी की कमी वाले छोटे से देश इजराइल ने जो तकनीकी चमत्कार रचे हैं, वही अब भारतीय कृषि को भी नई दिशा दे रहे हैं। कृषि की इस तकनीक से बहराइच जिले के लोग लाभान्वित हो रहे है।
बहराइच जिले से हमारे संवाददाता अशोक कुमार सोनी की एक रिपोर्ट के अनुसार कस्बा कैसरगंज के प्रगतिशील किसान अरशद मजीद ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर कम पानी में बेहतरीन खेती का कमाल दिखाया है। श्री मजीद ने बताया कि वे किस तरह से इजराइल की तकनीक का सहारा लेकर अनार की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अनार की खेती के लिए जो वातावरण चाहिए, उसे इस तकनीक ने आसान बना दिया है।
जानकारी के अनुसार भारत और इज़राइल आकार और जनसंख्या में बहुत अलग हैं। पर दोनों देशों के सामने एक समान चुनौती है, और वह है जल संकट का। भारत में कृषि 40% से अधिक लोगों को रोजगार देती है और जीडीपी लगभग 20% का योगदान करती है। पर दुखद यह है कि 60% से ज्यादा कृषि भूमि मानसून पर निर्भर है। इसके अलावा भूजल स्तर भी गिरता जा रहा है। ऐसे खेती के लिए पानी का पर्याप्त इंतजाम कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन अब इजराइली तकनीक ने किसानों को काफी राहत दिया है। बताते हैं कि इज़राइल ने भी इसी समस्या से जूझते हुए ऐसी जल तकनीक विकसित की है, जो अब भारत के लिए वरदान साबित हो रही हैं। और इस तकनीकों का नाम है, ड्रिप सिंचाई, जल पुनर्चक्रण, स्मार्ट खेती और समुद्री जल शुद्धिकरण। इसमें सबसे प्रसिद्ध तकनीक है ड्रिप इरिगेशन। यह ऐसी प्रणाली है जिसमें पानी बूंद-बूंद कर पौधों की जड़ों तक पहुँचता है। इस तकनीक से पानी की बर्बादी 50% तक कम हो जाती है, और साथ ही फसल उत्पादन 20-40% तक बढ़ जाता है।
यह भी जानकारी मिली है कि इज़राइली कंपनी नेटाफिम ने भारत में इस तकनीक को लोकप्रिय बनाया है। खबर है कि आज महाराष्ट्र में गन्ना, कर्नाटक में अनार उगाने वाले लाखों किसान इसी तकनीक से फसलें उगा रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि सिर्फ तकनीक देना काफी नहीं, किसानों को इसका सही इस्तेमाल सिखाना भी जरूरी है। इसी सोच के तहत 2008 में भारत और इज़राइल ने इंडो-इज़राइल कृषि सहयोग परियोजना शुरू की थी। आज देश के कई राज्यों में 30 से अधिक उत्कृष्टता केंद्र काम कर रहे हैं। ये केंद्र आधुनिक सिंचाई, ग्रीनहाउस खेती, खाद-पानी प्रबंधन और फसल संरक्षण जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण देते हैं। हरियाणा के घरौंडा केंद्र ने भी हजारों किसानों को नई तकनीक अपनाने में मदद की है।
इस साझेदारी का अगला चरण स्मार्ट खेती है। इज़राइल के स्टार्टअप्स भारत में सेंसर, उपग्रह डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक ला रहे हैं, जो पानी की जरूरत को सटीक रूप से मापकर सिंचाई को स्वचालित कर देते हैं। इज़राइल का अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण मॉडल भी भारतीय शहरों में अपनाया जा रहा है। इज़राइल लगभग 90% गंदे पानी को कृषि के लिए दोबारा इस्तेमाल करता है।
इन तकनीकों से किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है। उदाहरण के लिए, गुजरात के केले के किसान ड्रिप सिंचाई अपनाकर अपनी आमदनी दोगुनी कर चुके हैं। आंध्र प्रदेश में आधुनिक तकनीक से साल भर उच्च गुणवत्ता वाली सब्ज़ियां उगाई जा रही हैं, जिससे निर्यात भी बढ़ा है।
