- बिहार धरती से ही यूपी की राजनीति को साधेंगे दोनों दिग्गज
- बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे के क्षेत्र रघुनाथपुर में ताल ठोकेंगे दोनों
- अखिलेश मुस्लिम वोटर साधेंगे, योगी हिंदुत्व की अलख जगाएंगे
- देखना है कि अखिलेश तेज प्रताप का प्रचार करने जाएंगे या नहीं
- तेजस्वी-राहुल भी होंगे साथ, समस्तीपुर में मंच करेंगे साझा
प्रवीण द्विवेदी, वीकली आई न्यूज़
लखनऊ/पटना। जैसे-जैसे बिहार में पहले चरण के मतदान की तारीख छह नवंबर नजदीक आती जा रही है, वहां का सियासी पारा तेज होता जा रहा है। चुनावी लड़ाई अब धीरे-धीरे जाति से निकल धर्म पर केंद्रित होती जा रही है। सीमांचल में घुसते ही नेताओं को तुष्टिकरण की याद आ जाती है। इससे इतर यूपी के दो नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी यूपी की राजनीति को धार देने के इरादे से रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में गरजने वाले हैं। दूसरी ओर सीमांचल में जन स्वराज पार्टी के संस्थापक पीके ने एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को बाहरी बताते हुए नसीहत दे डाली है कि वे अपना हैदराबाद ही संभालें। खबर है कि दो महीने शांत रहने के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी समस्तीपुर में तेजस्वी के साथ मंच साझा करने वाले हैं।
यूपी की राजनीति के दोनों चिर प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के चुनाव क्षेत्र में आकर वहीं से यूपी के अपने-अपने वोट बैंक को सहेजने वाले हैं। इसकी बानगी यूपी में दिखाते हुए योगी आदित्यनाथ ने सपा को माफिया प्रोडक्शन हाउस और अखिलेश को उसका सीईओ कह दिया है। योगी का कहना है कि इसीलिए वे माफिया शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के लिए प्रचार करने बिहार जा रहे हैं। योगी को भी वहां रघुनाथपुर में भाजपा प्रत्याशी जीसू सिंह के लिए चुनावी सभा करना है। यानी यूपी के दोनों दिग्गज सिवान के रास्ते अपनी-अपनी राजनीति साधने आ रहे हैं। अखिलेश यादव के को जहां अपने मुसलमान वोट बैंक को मैसेज देना है, वहीं योगी को हिंदुत्व के अपने एजेंडे को धार देना है। दोनों के ही समर्थक उनके आने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। सिवान में पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एंट्री होगी, फिर उसके बाद अखिलेश आगामी तीन नवंबर को पहुंचेंगे।
सपा का माफियाओं से संबंध किसी से छिपा नहीं रहा है। चाहे मुख्तार अंसारी हों या फिर अतीक अहमद, दोनों ही सपा के प्यारे रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव का ओसामा शहाब के लिए प्रचार करना कोई बड़ी बात नहीं होगी। इसके जरिए उनकी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों को संदेश देने की कोशिश होगी कि अखिलेश चाहे जहां भी रहें, वे मुसलमानों की बात करते रहेंगे। अखिलेश यादव बिहार में तीन जनसभाएं कर इंडी गठबंधन के लिए प्रचार करेंगे, हालांकि उनकी पार्टी बिहार में किसी सीट पर नहीं लड़ रही है। इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से काफी पहले उन्होंने लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव से बात करके पूछा था कि वे किस सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे। तब तेज प्रताप यादव ने उनसे अपने क्षेत्र में प्रचार का वादा भी लिया था। अब देखना यह है कि क्या उस समय तेज प्रताप यादव से किया गया वादा अखिलेश यादव अब निभाते हैं या नहीं। उस समय तेज प्रताप यादव तुरंत-तुरंत अपने एक्स्ट्रा मैरिटल रिश्ते के चलते परिवार से बेदखल किए गए थे। जानकारी के अनुसार अखिलेश यादव की जन सभाएं पूर्वी चंपारण, सिवान और कैमूर में होंगी।
इसके अलावा चर्चा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर बिहार में सक्रिय होने वाले हैं। बीते एक सितंबर को अपनी वोटर अधिकार यात्रा की पटना के गांधी मैदान में समाप्ति के बाद राहुल गांधी ने बिहार की तरफ पलट कर भी नहीं देखा, और कोलंबिया घूमते रहे। आलम ये था कि दिल्ली मिलने गए लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को उन्होंने मिलने का भी समय नहीं दिया। खबर यह है कि नाराज होकर दोनों पिता-पुत्र खाली हाथ पटना लौट आए। तभी से सम्बंधों में दिक्कत दिखाई देने लगी। बताते हैं कि नाराजगी इतनी बढ़ गई थी कि मामला संभालने के लिए ही कांग्रेस नेता अशोक गहलोत को पटना आकर तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करना पड़ा। इसके बावजूद राहुल गांधी ने अभी भी तेजस्वी यादव को इसके लिए बधाई नहीं दी है। अब खबर आ रही है कि दोनों मुजफ्फरपुर में मंच साझा करते हुए पहली चुनावी रैली करेंगे। और अगर ऐसा होता है तो ये महागठबंधन में रिश्तों में आई खटास के खत्म होने और उसमें गर्माहट आने का संकेत कहा जा सकता है। उधर सोमवार दिनांक 28 अक्टूबर को जारी किए गए तेजस्वी के प्रण की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर राहुल गांधी को बिहार में आना ही था तो उनके साथ ही तेजस्वी का प्रण, क्यों नहीं जारी किया गया। और इस काम के लिए पवन खेड़ा को ही क्यों चुना गया। इसके अलावा उसके ब्राउज़र में राहुल गांधी की छोटी फोटो को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पर एनडीए नेता भी हमलावर हैं। समीक्षक पूछ रहे हैं कि यह सिर्फ तेजस्वी का ही प्रण क्यों है। क्या तेजस्वी अब महागठबंधन से अलग चल रहे हैं। वैसे भी राहुल गांधी के वोट चोरी के मुद्दे को तेजस्वी ने कोई तवज्जो नहीं दी है। मंगलवार को जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि चुनाव आयोग 12 और राज्यों में एसआईआर करा रहा है, इस पर आपका क्या कहना है, तो तेजस्वी ने कहा कि इसमें कौन सी नई बात है। उन्होंने तो बिहार में कराया ही है। ऐसे में इस तरह का पासिंग रिमार्क भी इस बात का संकेत है कि वे भी एसआईआर को चुनावी मुद्दा नहीं मानते। ऐसे में जब तक दोनों नेता मंच साझा न करें तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। क्योंकि तेजस्वी यादव ने तो वोटर अधिकार यात्रा में तो बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन राहुल गांधी तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा से नदारद थे।
