- 2027 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगीं
- लखनऊ में मायावती की रैली में जुटी भारी भीड़
- मोदी और शाह का तो नाम भी नहीं लिया उन्होंने
- आजम खां से मुलाकात या बात को सिरे से नकारा
अभयानंद शुक्ल,वीकली आई न्यूज़
लखनऊ। लखनऊ में हुई मायावती की महारैली ने कई संकेत दे दिए। पहला तो यह कि वे मोदी और शाह पर नहीं बोलेंगी, दूसरा यह कि उनके पास अभी भी भीड़ जुटाने की क्षमता है और तीसरा यह कि उनका दुश्मन नंबर एक आज भी समाजवादी पार्टी है। उन्होंने सबसे पहले अखिलेश यादव और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधा। हालांकि उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी पर भी तंज कसा लेकिन उनके निशाने पर सर्वाधिक सपा और अखिलेश ही रहे। मायावती ने इस रैली में जो सबसे महत्वपूर्ण घोषणा की वो यह भी कि वे 2027 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी।
यूपी की राजधानी लखनऊ में बृहस्पतिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी महारैली में रमाबाई मैदान के मंच पर कई बड़े ऐलान किए। मायावती ने साफ कर दिया कि 2027 का विधानसभा चुनाव वे अकेले ही लड़ेंगी। उन्होंने समाजवादी पार्टी, कांग्रेस से लेकर बीजेपी पर भी खुलकर हमला बोला लेकिन ज्यादा प्रहार सपा पर ही किए। भाजपा पर निशाना साधते समय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का नाम लेने से परहेज़ किया। उन्होंने अखिलेश यादव सरकार की तुलना में योगी सरकार को बेहतर बताते हुए यहां तक कह दिया कि योगी आदित्यनाथ ने उनके कहने पर बहुजन समाज से जुड़े स्मारकों का बेहतर रखरखाव किया है जबकि सपा सरकार में ये स्मारक उपेक्षित थे। स्मारको के टिकट से मिलने वाले पैसे का बंदरबांट हो गया। इस पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा है कि मायावती के बयान के बाद साफ-साफ दिख रहा है कि उनकी किसके साथ अंदरुनी सांठ-गांठ है। अखिलेश का इशारा भाजपा-बसपा की कथित मिलीभगत की ओर था। उन्होंने आजम खां के पार्टी में आने की खबरों को भी मनगढ़ंत बताते हुए कहा कि मेरी इस बारे में न तो किसी से मुलाकात हुई है और न किसी से बात हुई है।
बसपा सुप्रीमो ने आजम खां को लेकर चल रही चर्चाओं पर कहा कि 9 अक्टूबर के कार्यक्रम के घोषणा होते ही पिछले महीने से अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां उनकी ओर रुख कर रहे हैं और वे दिल्ली और लखनऊ में उनसे मिले हैं। दर असल पार्टी विधायक उमाशंकर सिंह ने आजम खां के पार्टी में स्वागत करने सम्बन्धी बयान देकर इन चर्चाओं को जन्म दे दिया था।मायावती ने इन खबरों को सिरे से खारिज किया और कहा कि मैं कभी किसी से छिपकर नहीं मिलती। और जब मिलती हूं तो खुलेआम।

मायावती ने सपा, भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम जातिवादी पार्टियों पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि जातिवाद के मामले में सपा सबसे आगे रही है। वह अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पीडीए की हवा-हवाई बातें करके जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। बसपा नेता ने कहा कि सपा सरकारों ने हमेशा आरक्षण के मामले में पक्षपात किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पदोन्नति में आरक्षण को तो लगभग खत्म ही कर दिया गया। साथ ही कहा कि सपा सरकार ने माफियाओं, गुंडों और अराजक तत्वों को पाला है। उन्होंने कहा कि आज वही हालात हमें बीजेपी सरकार में भी देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है, लेकिन उनका वास्तविक लाभ जमीनी स्तर तक नहीं पहुंचता। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस ने दलितों और पिछड़े वर्गों का शोषण किया। उन्होंने कहा कि कांशीराम जी के निधन के बाद, न तो कांग्रेस और न ही सपा की सरकारों ने एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक घोषित नहीं किया। इससे इनकी सोच और भावना का साफ पता चलता है।
भीड़ के लिहाज से यह रैली सफल कही जा सकती है। इस सियासी सूखे के समय लगभग पांच लाख की भीड़ जुटाने का करिश्मा मायावती ही कर सकती हैं, यह बात उन्होंने साबित कर दिया। पार्टी के लिहाज से यह बात भी निकल कर आई कि अब पार्टी में नंबर दो की हैसियत में आकाश आनंद ही रहेंगे। यानी पार्टी के चाणक्य सतीश चंद्र मिश्रा अब उनके बाद की पोजीशन में होंगे।
