अब तक की सबसे बड़ी टैक्स छूट… समझिए कैसे बजट से वित्त मंत्री ने मिडिल क्लास के दिल में उतरने का प्रयास किया है l
मोदी 3.0 का यह पहला आम बजट है l वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान नए इनकम टैक्स बिल का ऐलान किया है l उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि विकसित भारत की ओर हमारी यात्रा में आम लोगों को बड़ा योगदान है l वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में इनकम टैक्स को लेकर बड़े ऐलान भी किया है l उन्होंने कहा कि अब 12 लाख रुपये तक की आय पर किसी को कोई टैक्स नहीं देना होगा l जबकि 16 से 20 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 20% टैक्स, 20 से 24 लाख रुपये की कमाई पर 25% टैक्स और 24 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर 30% टैक्स देना होगा l टैक्स में बुजुर्गों को का भी ध्यान रखा गया है l बुजुर्गों के लिए TDS की सीमा दोगुनी कर दी गई है l अब इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है l वित्त मंत्री ने कहा कि हमने अब TCS को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया है l

अब इनकम टैक्स में 1 लाख करोड़ की छूट सरकार को नुकसान या GDP को फायदा ?
केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में जो बदलाव किया है उससे माना जा रहा है कि सरकार ने मिडिल क्लास को तो खुश कर दिया लेकिन, उससे केंद्र सरकार इनकम टैक्स से मिलने वाले पैसों में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आएगी l
भारत सरकार का वर्ष 2025-26 का बजट ₹16.13 लाख करोड़ के राजकोषीय घाटे का पेश किया गया है l ये घाटा सरकार की आय और व्यय के बीच के अंतर को दिखाता है l जिसमें सरकार का खर्च आय से अधिक होता है l वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2025 के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य 4.8% रखा है, जबकि अगले वित्त वर्ष 2026 के लिए इसे 4.4% तक लाने की कोशिश होगी l
घाटे वाला बजट एक ऐसा बजट होता है जिसमें सरकार के कुल खर्चे उसकी कुल आय से ज्यादा होते हैं l दूसरे शब्दों में सरकार जितना कमाती है उससे ज्यादा खर्च करती है, इसे बजट घाटा कहा जाता है l हालांकि इसका मतलब ये भी है कि सरकार को ₹2 लाख करोड़ का घाटा पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा या अन्य साधन तलाशने होंगे l
सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा l ब्याज भुगतान के कारण भविष्य के खर्चे सीमित हो सकते हैं l
घाटे वाला बजट न होने के नुकसान
सार्वजनिक निवेश में कमी –स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में खर्च कम हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होता है l आर्थिक मंदी का जोखिम- मंदी के समय खर्च न बढ़ाने से अर्थव्यवस्था और संकुचित हो सकती है l राजनीतिक दबाव – सामाजिक कल्याण योजनाओं या चुनावी वादों को पूरा करने के लिए धन की कमी हो सकती है l नवाचार में कमी –सरकारी खर्च कम होने से तकनीकी शोध और विकास (R&D) जैसे क्षेत्र पिछड़ सकते हैं l

घाटे वाले बजट का क्या असर होता है
सकारात्मक प्रभाव –
आर्थिक विकास को गति देता है – सरकारें बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विकास परियोजनाओं में भारी निवेश करती हैं, जो लंबे समय में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है l बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जिससे उपभोक्ता मांग बढ़ती है l
अब सवाल ये है कि आम आदमी को तो इस बजट से फायदा होता हुआ नजर आ रहा है लेकिन क्या सरकार पब्लिक की मूलभूत सुविधाओं पर अपना हाथ नरम करेगी?
