लाखामण्डल चकराता,उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित लाखामंडल चकराता के एएसआई भंडारगृह में 105 सालों से 65 से अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिवलिंग कैद हैं। पांचवीं से 12वीं सदी की बताई जाने वाली इन दुर्लभ मूर्तियों को देखने की किसी को अनुमति नहीं है। स्थानीय लोग वर्षों से इन मूर्तियों को सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं।

- वर्ष 1920 में हनोल व लाखामंडल स्थित मंदिर परिसर की खोदाई के दौरान मिली थी देवी-देवताओं की 65 से अधिक मूर्तियां व शिवलिंग
- एएसआइ के लाखामंडल व हनोल स्थित भंडारगृह में रखी गई हैं पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की बताई जा रही यह मूर्तियां और अवशेष
चंदराम राजगुरु, जागरण त्यूणी (देहरादून): लाखामण्डल चकराता: उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हनोल व लाखामंडल में खोदाई के दौरान मिली देवी-देवताओं की 65 से अधिक मूर्तियां व शिवलिंग 105 साल से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के लाखामंडल व हनोल स्थित भंडारगृह में ‘कैद’ हैं।
जबकि, पांचवीं से 12वीं सदी के बीच की बताई जा रही इन मूर्तियों को रखने के लिए एएसआई ने डेढ़ वर्ष पूर्व लाखामंडल में जो इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया था, वह वीरान पड़ा है। हैरत देखिए कि इन दुर्लभ मूर्तियों को देखने की किसी को अनुमति भी नहीं है। जबकि, स्थानीय लोग वर्षों से इन्हें सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं।
पांडवकालीन लाखामंडल शिव मंदिर

प्रदेश के 13 चयनित टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शामिल पांडवकालीन लाखामंडल शिव मंदिर में पर्यटन विकास की योजना के परवान चढ़ने का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। वहीं, हनोल के प्रसिद्ध महासू देवता मंदिर में मास्टर प्लान के तहत तीर्थाटन विकास योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है। क्षेत्र के इन दो प्रमुख पर्यटन स्थलों में मंदिर के संरक्षण का जिम्मा एएसआइ देहरादून परिमंडल के पास है।
एएसआइ ने वर्ष 1920 में महासू देवता मंदिर हनोल और शिव मंदिर लाखामंडल को अपने संरक्षण में लिया था। तब एएसआइ को हनोल मंदिर परिसर की खोदाई में देवी-देवताओं की करीब 30 मूर्तियां व प्राचीन अवशेष मिले थे।

इसी तरह लाखामंडल की खोदाई में भी एएसआइ को देवी-देवताओं की 35 से अधिक मूर्तियां, कई शिवलिंग व प्राचीन अवशेष मिले। इनमें भगवान शिव, शक्ति, पार्वती, गणेश, विष्णु, लक्ष्मी, कुबेर, सूर्य, दुर्गा व महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियां, पंचमुखी शिवलिंग व ऐतिहासिक महत्व के अवशेष प्रमुख हैं, जिन्हें एएसआइ ने भंडारगृहों में रखा हुआ है।
एएसआइ मुख्यालय में रखी हैं आठ मूर्तियां

शिव मंदिर समिति लाखामंडल के अध्यक्ष सुशील गौड़, कोषाध्यक्ष बाबूराम शर्मा, महासू देवता मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव मोहनलाल सेमवाल, वरिष्ठ सदस्य राजाराम शर्मा, जितेंद्र चौहान, प्रह्लाद जोशी, दलीप तोमर, हरीश राजगुरु आदि का कहना है कि हनोल व लाखामंडल स्थित भंडारगृहों में रखी मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्च के अवशेषों को श्रद्धालुओं के साथ आमजन, पर्यटक व शोधार्थियों के लिए खोला जाना चाहिए।उन्होंने बताया कि पूर्व में लाखामंडल स्थित भंडारगृह से आठ मूर्तियां चोरी चली गई थीं, जिन्हें पुलिस की मदद से बरामद कर देहरादून स्थित एएसआइ मुख्यालय में रखा गया है। इन मूर्तियों को भी वापस लाखामंडल लाया जाना चाहिए।
